आदिवासी (भारतीय)
Updated 12 December 2022
भारत में अनुसूचित आदिवासी समूहों की संख्या 700 से अधिक है।भारत में 1871 से लेकर 1941 तक हुई जनगणनाओं में आदिवासियों को अन्य धमों से अलग धर्म में गिना गया है, जैसे
Other religion-1871,
ऐबरिजनल 1881,
फारेस्ट ट्राइब-1891,
एनिमिस्ट-1901,
एनिमिस्ट-1911,
प्रिमिटिव-1921,
ट्राइबल रिलिजन -1931,
"ट्राइब-1941"
इत्यादि नामों से वर्णित किया गया है। हालांकि 1951 की जनगणना के बाद से आदिवासियों को हिन्दू धर्म मे गिनना शुरू कर दिया गया है। लेकिन आदिवासी की कला संस्कृति रीति रिवाज हिन्दू धर्म से हटकर है|
भारत में आदिवासियों को दो वर्गों में अधिसूचित किया गया है- अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित आदिम जनजाति। हिंदू विवाह अधिनियम, हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 2 (2) के अनुसार अनुसूचित जनजाति के सदस्यों पर लागू नहीं है। यदि ऐसा है, तो हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 9 के तहत फैमिली कोर्ट द्वारा जारी किया गया निर्देश अपीलकर्ता पर लागू नहीं होता है। " आदिवासी लोग हिन्दू धर्म का पालन करते हैं,और सारे त्यौहार मनाते है। इन पर सदैव ज़ुल्म किये जब भारत मुसलमान और अंग्रेजों का गुलाम था। उनकी प्रथागत जनजातीय आस्था के अनुसार विवाह और उत्तराधिकार से जुड़े मामलों में सभी विशेषाधिकारों को बनाए रखने के लिए उनके जीवन का अपना तरीका भी है।
भारत की जनगणना 1951 के अनुसार आदिवासियों की संख्या 9,91,11,498 थी जो 2001 की जनगणना के अनुसार 12,43,26,240 हो गई। यह देश की जनसंख्या का 8.2 प्रतिशत है।
भौगोलिक दृष्टि से आदिवासी भारत का विभाजन चार प्रमुख क्षेत्रों में किया जा सकता है : उत्तरपूर्वीय क्षेत्र, मध्य क्षेत्र, पश्चिमी क्षेत्र और दक्षिणी क्षेत्र।